मनोरंजन की दुनिया, जो हमेशा अपनी चकाचौंध और भव्य प्रोडक्शन के लिए जानी जाती है, अब पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की दिशा में गंभीर कदम उठा रही है। फिल्मों के सेट से लेकर म्यूज़िक कॉन्सर्ट्स तक, अब सतत विकास (सस्टेनेबिलिटी) एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बन गया है। प्रमुख प्रोडक्शन हाउस अब ऊर्जा-कुशल लाइटिंग, सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का कम उपयोग, और सेट सामग्री का पुनः उपयोग जैसी हरित नीतियाँ अपना रहे हैं।
बॉलीवुड और हॉलीवुड में कई सितारे पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं। रेड कारपेट पर ईको-फ्रेंडली फैशन, सोलर एनर्जी से चलने वाले ट्रेलर, और यात्रा के लिए कार्बन ऑफसेटिंग अब सामान्य होती जा रही हैं।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और स्ट्रीमिंग सेवाएं भी पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं, क्योंकि इससे भौतिक डिस्ट्रिब्यूशन की आवश्यकता कम हो गई है। साथ ही, प्रकृति और सतत विकास पर आधारित डॉक्यूमेंट्री और फिल्में दर्शकों को प्रेरित कर रही हैं।
मनोरंजन की दुनिया न केवल समाज को दर्शाती है, बल्कि उसे बेहतर बनाने में भी अहम भूमिका निभा रही है I
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हिंदी सिनेमा की चकाचौंध के पीछे, खासकर 1970 और 1980 के दशक में, एक खामोश क्रांति चल रही थी। मुख्यधारा की फिल्मों की चमक-दमक से दूर, यथार्थ और मानवीय अनुभवों पर आधारित एक नई पीढ़ी की फिल्में उभर रही थीं। इस आंदोलन से जुड़ी कई प्रतिभाओं के बीच, दीप्ति नवल और फारूक शेख की जोड़ी कुछ अलग ही थी।
फिल्म इंडस्ट्री में जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है, जहां अक्सर रूप रंग को प्रतिभा से ऊपर रखा जाता है, वहां नीना गुप्ता ने मानो पूरी व्यवस्था को पलट कर रख दिया है। एक समय पर उन्हें स्टीरियोटाइप किरदारों में बांध दिया गया था, लेकिन आज वे मिड-लाइफ क्रांति का चेहरा बन चुकी हैं। उन्होंने सिर्फ फिल्मों में वापसी नहीं की — बल्कि खुद को नया रूप दिया और उम्रदराज महिलाओं की छवि को फिर से परिभाषित किया। उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है; ये साहसिक फैसलों, आत्मबल और उस आंतरिक विश्वास की कहानी है, जो एक ऐसी महिला के अंदर था जिसने दुनिया से मुंह मोड़ने के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं खोया।
भारतीय सिनेमा के समृद्ध कैनवस में यदि कोई नाम सबसे उज्जवल रूप में चमकता है, तो वह है यश चोपड़ा। "रोमांस के बादशाह" के रूप में मशहूर यश चोपड़ा ने अपनी कहानी कहने की अनोखी शैली, खूबसूरत दृश्यों, मधुर संगीत और भावनात्मक गहराई से बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। उनके पांच दशकों से भी लंबे करियर ने हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल दी और दुनिया को प्रेम की एक नई सिनेमाई भाषा सिखाई।
आज, 26 सितंबर को हँसी की दुनिया की रानी, हमेशा मुस्कुराती और हँसी बाँटती अर्चना पूरण सिंह अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं। चार दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा को अपनी ऊर्जा, हास्य और अनोखी आवाज़ से रोशन किया है। उनकी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने उन्हें एक ऐसे सितारे के रूप में स्थापित किया है, जो शोबिज़ की चमक-दमक में भी अपनी सच्चाई और मौलिकता को नहीं भूलीं।
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