प्रियंका चोपड़ा भारत की सबसे सफल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जाने वाली सितारों में से एक हैं। साल 2000 में मिस वर्ल्ड का ताज जीतने से लेकर हॉलीवुड में अपना नाम बनाने तक, उनका सफर बेहद प्रेरणादायक है। अपनी प्रतिभा, आत्मविश्वास और करिश्मे के दम पर उन्होंने बॉलीवुड और ग्लोबल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री दोनों में खास मुकाम हासिल किया है।
बर्फी, डॉन और बाजीराव मस्तानी जैसी हिट फिल्मों से बॉलीवुड में राज करने के बाद, प्रियंका ने अमेरिकन टीवी शो क्वांटिको से हॉलीवुड में कदम रखा। वह किसी अमेरिकी नेटवर्क शो की पहली साउथ एशियन लीड बनीं और वहां से उनकी ग्लोबल पहचान और भी बढ़ गई। इसके बाद उन्होंने बेवॉच और द मैट्रिक्स रिसरेक्शंस जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया।
अभिनय के अलावा प्रियंका एक सिंगर, लेखक और प्रोड्यूसर भी हैं। उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी 'पर्पल पेबल पिक्चर्स' की स्थापना की और UNICEF की गुडविल एम्बेसडर भी हैं। वह शिक्षा, महिला अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलती हैं।
अमेरिकन सिंगर निक जोनस से शादी के बाद, उन्होंने दो संस्कृतियों को खूबसूरती से जोड़ा है और एक सच्ची अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि बनकर उभरी हैं।
प्रियंका सिर्फ मशहूर नहीं हैं — वो एक वैश्विक शक्ति बन चुकी हैं।
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हिंदी सिनेमा की चकाचौंध के पीछे, खासकर 1970 और 1980 के दशक में, एक खामोश क्रांति चल रही थी। मुख्यधारा की फिल्मों की चमक-दमक से दूर, यथार्थ और मानवीय अनुभवों पर आधारित एक नई पीढ़ी की फिल्में उभर रही थीं। इस आंदोलन से जुड़ी कई प्रतिभाओं के बीच, दीप्ति नवल और फारूक शेख की जोड़ी कुछ अलग ही थी।
फिल्म इंडस्ट्री में जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है, जहां अक्सर रूप रंग को प्रतिभा से ऊपर रखा जाता है, वहां नीना गुप्ता ने मानो पूरी व्यवस्था को पलट कर रख दिया है। एक समय पर उन्हें स्टीरियोटाइप किरदारों में बांध दिया गया था, लेकिन आज वे मिड-लाइफ क्रांति का चेहरा बन चुकी हैं। उन्होंने सिर्फ फिल्मों में वापसी नहीं की — बल्कि खुद को नया रूप दिया और उम्रदराज महिलाओं की छवि को फिर से परिभाषित किया। उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है; ये साहसिक फैसलों, आत्मबल और उस आंतरिक विश्वास की कहानी है, जो एक ऐसी महिला के अंदर था जिसने दुनिया से मुंह मोड़ने के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं खोया।
भारतीय सिनेमा के समृद्ध कैनवस में यदि कोई नाम सबसे उज्जवल रूप में चमकता है, तो वह है यश चोपड़ा। "रोमांस के बादशाह" के रूप में मशहूर यश चोपड़ा ने अपनी कहानी कहने की अनोखी शैली, खूबसूरत दृश्यों, मधुर संगीत और भावनात्मक गहराई से बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। उनके पांच दशकों से भी लंबे करियर ने हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल दी और दुनिया को प्रेम की एक नई सिनेमाई भाषा सिखाई।
आज, 26 सितंबर को हँसी की दुनिया की रानी, हमेशा मुस्कुराती और हँसी बाँटती अर्चना पूरण सिंह अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं। चार दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा को अपनी ऊर्जा, हास्य और अनोखी आवाज़ से रोशन किया है। उनकी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने उन्हें एक ऐसे सितारे के रूप में स्थापित किया है, जो शोबिज़ की चमक-दमक में भी अपनी सच्चाई और मौलिकता को नहीं भूलीं।
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