कास्टिंग इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव आ रहा है, और इसका नेतृत्व कर रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)। पहले, कास्टिंग डायरेक्टर्स को हजारों हेडशॉट्स, रिज़्यूमे और रील्स को देखने में घंटों लग जाते थे। अब, AI आधारित प्लेटफ़ॉर्म इन प्रोसेसेज़ को तेज़ और सटीक बना रहे हैं।
AI एल्गोरिदम कुछ ही सेकंड में हजारों प्रोफाइल्स का विश्लेषण कर सकते हैं, और जैसे ही किसी किरदार के लिए विशेषताओं की ज़रूरत होती है – जैसे लुक, अनुभव, बोली और उपलब्धता – वैसे ही टैलेंट को फ़िल्टर कर सकते हैं। इससे न सिर्फ समय की बचत होती है, बल्कि यह प्रक्रिया कम पक्षपाती भी होती है, जिससे अधिक विविधता और समावेशिता को बढ़ावा मिलता है।
वर्चुअल ऑडिशन और AI आधारित फेसियल रिकॉग्निशन टूल्स की मदद से कास्टिंग टीमें अब दूर से ही एक्सप्रेशन, इमोशन और आवाज़ का मूल्यांकन कर सकती हैं। कुछ प्लेटफॉर्म तो डिजिटल अवतार और वॉयस सिंथेसिस का भी प्रयोग कर रहे हैं।
कलाकारों के लिए इसका मतलब है ज़्यादा अवसर और सही प्रोजेक्ट्स से जुड़ने का बेहतर मौका। और कास्टिंग प्रोफेशनल्स के लिए, यह एक स्मार्ट, तेज़ और सटीक प्रक्रिया बन रही है।
AI क्रिएटिव सोच की जगह नहीं ले सकता, लेकिन यह निश्चित रूप से कास्टिंग के भविष्य को नया आकार दे रहा है।
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फिल्म इंडस्ट्री में जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है, जहां अक्सर रूप रंग को प्रतिभा से ऊपर रखा जाता है, वहां नीना गुप्ता ने मानो पूरी व्यवस्था को पलट कर रख दिया है। एक समय पर उन्हें स्टीरियोटाइप किरदारों में बांध दिया गया था, लेकिन आज वे मिड-लाइफ क्रांति का चेहरा बन चुकी हैं। उन्होंने सिर्फ फिल्मों में वापसी नहीं की — बल्कि खुद को नया रूप दिया और उम्रदराज महिलाओं की छवि को फिर से परिभाषित किया। उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है; ये साहसिक फैसलों, आत्मबल और उस आंतरिक विश्वास की कहानी है, जो एक ऐसी महिला के अंदर था जिसने दुनिया से मुंह मोड़ने के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं खोया।
भारतीय सिनेमा के समृद्ध कैनवस में यदि कोई नाम सबसे उज्जवल रूप में चमकता है, तो वह है यश चोपड़ा। "रोमांस के बादशाह" के रूप में मशहूर यश चोपड़ा ने अपनी कहानी कहने की अनोखी शैली, खूबसूरत दृश्यों, मधुर संगीत और भावनात्मक गहराई से बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। उनके पांच दशकों से भी लंबे करियर ने हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल दी और दुनिया को प्रेम की एक नई सिनेमाई भाषा सिखाई।
आज, 26 सितंबर को हँसी की दुनिया की रानी, हमेशा मुस्कुराती और हँसी बाँटती अर्चना पूरण सिंह अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं। चार दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा को अपनी ऊर्जा, हास्य और अनोखी आवाज़ से रोशन किया है। उनकी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने उन्हें एक ऐसे सितारे के रूप में स्थापित किया है, जो शोबिज़ की चमक-दमक में भी अपनी सच्चाई और मौलिकता को नहीं भूलीं।
हिंदी सिनेमा की चकाचौंध के पीछे, खासकर 1970 और 1980 के दशक में, एक खामोश क्रांति चल रही थी। मुख्यधारा की फिल्मों की चमक-दमक से दूर, यथार्थ और मानवीय अनुभवों पर आधारित एक नई पीढ़ी की फिल्में उभर रही थीं। इस आंदोलन से जुड़ी कई प्रतिभाओं के बीच, दीप्ति नवल और फारूक शेख की जोड़ी कुछ अलग ही थी।
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