जॉनी लीवर, जिनका असली नाम जॉन प्रकाश राव जनुमाला है, का जन्म 14 अगस्त 1957 को हुआ था। वे भारतीय सिनेमा के सबसे चहेते और प्रतिभाशाली हास्य कलाकारों में से एक हैं। चार दशकों से अधिक के करियर में, जॉनी लीवर ने कॉमेडी को एक नई ऊंचाई दी और दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बना ली।
वे एक तेलुगू ईसाई परिवार में जन्मे और मुंबई की गलियों में पले-बढ़े। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें कम उम्र में ही स्कूल छोड़ना पड़ा और परिवार की मदद के लिए काम करना शुरू किया। बचपन से ही उनमें मिमिक्री और लोगों को हँसाने की अद्भुत कला थी। उन्होंने स्टेज शो, म्यूजिकल कार्यक्रमों और सार्वजनिक मंचों पर परफॉर्म करके अपनी कला को निखारा।
फिल्मों में उनका बड़ा ब्रेक 1980 के दशक की शुरुआत में मिला, लेकिन 1993 की फिल्म बाज़ीगर से उन्हें असली पहचान मिली। इसके बाद दीवाना मस्ताना, दूल्हे राजा, राजा हिंदुस्तानी, गोलमाल 3 जैसी फिल्मों में उनकी कॉमेडी को खूब सराहा गया। उन्होंने 300 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है और उनकी संवाद अदायगी, चेहरे के हाव-भाव और समय की सही पकड़ उन्हें सबसे अलग बनाती है।
जॉनी लीवर की खासियत सिर्फ उनका हास्य अभिनय नहीं है, बल्कि यह भी है कि वे हर दौर के साथ खुद को ढालने में माहिर हैं। उन्होंने अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख़ ख़ान और आज के कलाकारों जैसे वरुण धवन और रणवीर सिंह के साथ भी काम किया है। उनकी उपस्थिति किसी भी गंभीर या एक्शन फिल्म में कॉमिक राहत लेकर आती है।
वे एक बेहद विनम्र और सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं। उनका आध्यात्मिक पक्ष भी मजबूत है और वे अक्सर बताते हैं कि कैसे उनका ईसाई विश्वास मुश्किल समय में उनका संबल बना।
हाल के वर्षों में उन्होंने डिजिटल माध्यमों पर भी अपनी पहचान बनाई है, और उनकी बेटी जैमी लीवर भी उनके नक्शे-कदम पर चल रही हैं।
जॉनी लीवर की कहानी संघर्ष, प्रतिभा और मुस्कुराहट की मिसाल है – जो बताती है कि असली हुनर हर मुश्किल को हरा सकता है।
Image Credit: Bollywood Hungama
हिंदी सिनेमा की चकाचौंध के पीछे, खासकर 1970 और 1980 के दशक में, एक खामोश क्रांति चल रही थी। मुख्यधारा की फिल्मों की चमक-दमक से दूर, यथार्थ और मानवीय अनुभवों पर आधारित एक नई पीढ़ी की फिल्में उभर रही थीं। इस आंदोलन से जुड़ी कई प्रतिभाओं के बीच, दीप्ति नवल और फारूक शेख की जोड़ी कुछ अलग ही थी।
फिल्म इंडस्ट्री में जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है, जहां अक्सर रूप रंग को प्रतिभा से ऊपर रखा जाता है, वहां नीना गुप्ता ने मानो पूरी व्यवस्था को पलट कर रख दिया है। एक समय पर उन्हें स्टीरियोटाइप किरदारों में बांध दिया गया था, लेकिन आज वे मिड-लाइफ क्रांति का चेहरा बन चुकी हैं। उन्होंने सिर्फ फिल्मों में वापसी नहीं की — बल्कि खुद को नया रूप दिया और उम्रदराज महिलाओं की छवि को फिर से परिभाषित किया। उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है; ये साहसिक फैसलों, आत्मबल और उस आंतरिक विश्वास की कहानी है, जो एक ऐसी महिला के अंदर था जिसने दुनिया से मुंह मोड़ने के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं खोया।
भारतीय सिनेमा के समृद्ध कैनवस में यदि कोई नाम सबसे उज्जवल रूप में चमकता है, तो वह है यश चोपड़ा। "रोमांस के बादशाह" के रूप में मशहूर यश चोपड़ा ने अपनी कहानी कहने की अनोखी शैली, खूबसूरत दृश्यों, मधुर संगीत और भावनात्मक गहराई से बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। उनके पांच दशकों से भी लंबे करियर ने हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल दी और दुनिया को प्रेम की एक नई सिनेमाई भाषा सिखाई।
आज, 26 सितंबर को हँसी की दुनिया की रानी, हमेशा मुस्कुराती और हँसी बाँटती अर्चना पूरण सिंह अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं। चार दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा को अपनी ऊर्जा, हास्य और अनोखी आवाज़ से रोशन किया है। उनकी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने उन्हें एक ऐसे सितारे के रूप में स्थापित किया है, जो शोबिज़ की चमक-दमक में भी अपनी सच्चाई और मौलिकता को नहीं भूलीं।
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