भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग इस समय एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है। टेक्नोलॉजी जिस तेजी से कंटेंट के निर्माण, उपभोग और मोनेटाइजेशन को बदल रही है, उसी तेजी से यह क्षेत्र भी गहराई से रूपांतरित हो रहा है। इस परिवर्तनशील समय में, भारत सरकार एक नई पहल के साथ सामने आई है—एक ऐसा मंच जो संवाद, वैश्विक सहयोग और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा: WAVES 2025।
WAVES 2025: एक ऐतिहासिक पहल
मुंबई में 1 से 4 मई के बीच आयोजित होने जा रहे वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) को सिर्फ एक और इवेंट के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) की एक रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य इंडस्ट्री के हर हिस्से को एक साथ लाना है—दिग्गज फिल्म निर्माता, वैश्विक OTT कंपनियाँ, उभरते भारतीय स्टार्टअप्स और मीडिया-टेक इनोवेटर्स सभी एक मंच पर एकत्रित होंगे। इस समिट का मकसद है एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करना जहाँ भारतीय एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का भविष्य मिलकर सोचा, समझा और निर्मित किया जा सके।
WAVES 2025 क्यों है उद्योग के लिए एक निर्णायक क्षण
भारत का मनोरंजन क्षेत्र हमेशा से भाषाओं, संस्कृतियों और फॉर्मैट्स का एक रंगीन संगम रहा है—बॉलीवुड से लेकर क्षेत्रीय सिनेमा तक, लोककला से लेकर AI-जनरेटेड म्यूज़िक तक। लेकिन आज यह इंडस्ट्री अब अलग-अलग हिस्सों में काम नहीं कर रही। तकनीक, कंटेंट, वितरण और कमाई के बीच की सीमाएँ अब धुंधली होती जा रही हैं।
WAVES 2025 की खासियत यही है कि यह इस बदलाव को पहचानता है। यह एक ऐसा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करता है जहाँ क्रिएटिव माइंड्स, नीति-निर्माता, उद्योग जगत के नेता और सबसे महत्वपूर्ण—स्टार्टअप्स एक साथ आकर भविष्य की दिशा तय कर सकते हैं। इस समिट से नई साझेदारियों की शुरुआत, निवेश पर बातचीत और भारत को वैश्विक मनोरंजन अर्थव्यवस्था में मजबूत स्थान दिलाने की उम्मीद है।
Image Credit: Everything Experiential
Author: Mr Rajesh Joshi
हिंदी सिनेमा की चकाचौंध के पीछे, खासकर 1970 और 1980 के दशक में, एक खामोश क्रांति चल रही थी। मुख्यधारा की फिल्मों की चमक-दमक से दूर, यथार्थ और मानवीय अनुभवों पर आधारित एक नई पीढ़ी की फिल्में उभर रही थीं। इस आंदोलन से जुड़ी कई प्रतिभाओं के बीच, दीप्ति नवल और फारूक शेख की जोड़ी कुछ अलग ही थी।
फिल्म इंडस्ट्री में जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है, जहां अक्सर रूप रंग को प्रतिभा से ऊपर रखा जाता है, वहां नीना गुप्ता ने मानो पूरी व्यवस्था को पलट कर रख दिया है। एक समय पर उन्हें स्टीरियोटाइप किरदारों में बांध दिया गया था, लेकिन आज वे मिड-लाइफ क्रांति का चेहरा बन चुकी हैं। उन्होंने सिर्फ फिल्मों में वापसी नहीं की — बल्कि खुद को नया रूप दिया और उम्रदराज महिलाओं की छवि को फिर से परिभाषित किया। उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है; ये साहसिक फैसलों, आत्मबल और उस आंतरिक विश्वास की कहानी है, जो एक ऐसी महिला के अंदर था जिसने दुनिया से मुंह मोड़ने के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं खोया।
भारतीय सिनेमा के समृद्ध कैनवस में यदि कोई नाम सबसे उज्जवल रूप में चमकता है, तो वह है यश चोपड़ा। "रोमांस के बादशाह" के रूप में मशहूर यश चोपड़ा ने अपनी कहानी कहने की अनोखी शैली, खूबसूरत दृश्यों, मधुर संगीत और भावनात्मक गहराई से बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। उनके पांच दशकों से भी लंबे करियर ने हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल दी और दुनिया को प्रेम की एक नई सिनेमाई भाषा सिखाई।
आज, 26 सितंबर को हँसी की दुनिया की रानी, हमेशा मुस्कुराती और हँसी बाँटती अर्चना पूरण सिंह अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं। चार दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा को अपनी ऊर्जा, हास्य और अनोखी आवाज़ से रोशन किया है। उनकी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने उन्हें एक ऐसे सितारे के रूप में स्थापित किया है, जो शोबिज़ की चमक-दमक में भी अपनी सच्चाई और मौलिकता को नहीं भूलीं।
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