भारतीय सिनेमा में कुछ ही नाम ऐसे हैं जो उतनी ही इज़्ज़त, प्रशंसा और अद्वितीय स्टारडम के साथ लिए जाते हैं, जितना कि अमिताभ बच्चन। पाँच दशकों से भी अधिक लंबे करियर के साथ, बच्चन जी न केवल एक महान अभिनेता हैं, बल्कि वे भारतीय मनोरंजन जगत के स्तंभ बन चुके हैं। “बॉलीवुड के शहंशाह” के नाम से मशहूर, उनकी गूंजती आवाज़, गंभीर स्क्रीन उपस्थिति और बहुमुखी अभिनय शैली ने उन्हें करोड़ों दिलों में अमिट स्थान दिलाया है।
लेकिन अमिताभ बच्चन सिर्फ एक पर्दे के नायक नहीं हैं — वे संघर्ष, पुनरुत्थान और अभिनय के प्रति अटूट समर्पण की मिसाल हैं।
प्रारंभिक जीवन और साधारण शुरुआत
11 अक्टूबर 1942 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मे अमिताभ बच्चन का नाम जन्म के समय 'इंकलाब श्रीवास्तव' रखा गया था, जो उस समय के लोकप्रिय नारे “इंकलाब जिंदाबाद” से प्रेरित था। उनके पिता, हरिवंश राय बच्चन, एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, और उनकी माता, तेजी बच्चन, कला और नाट्य में रुचि रखती थीं।
अमिताभ जी ने शेरवुड कॉलेज, नैनीताल से शिक्षा प्राप्त की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया। वे रेडियो उद्घोषक बनना चाहते थे, परंतु ऑल इंडिया रेडियो ने उनकी आवाज़ को यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि वह उपयुक्त नहीं है — वही आवाज़ जो आगे चलकर उनकी सबसे बड़ी पहचान बन गई।
स्टारडम की ओर: एंग्री यंग मैन का उदय
1969 में बच्चन ने मृणाल सेन की फिल्म 'भुवन शोम' में वॉयसओवर कलाकार के रूप में शुरुआत की। उसी साल उनकी पहली अभिनय फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' रिलीज़ हुई। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली, लेकिन उनके सफर की शुरुआत हो चुकी थी।
उनका पहला बड़ा ब्रेक 1971 की फिल्म 'आनंद' से मिला, जिसमें उन्होंने राजेश खन्ना के साथ एक डॉक्टर की गंभीर भूमिका निभाई। लेकिन असली सुपरस्टार बनने का रास्ता 'जंजीर' (1973) से खुला। इस फिल्म में उन्होंने "एंग्री यंग मैन" का किरदार निभाया — जो 1970 के दशक के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य से जुड़ा हुआ था।
इसके बाद एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में आईं:
1970 के दशक के अंत तक, अमिताभ बच्चन सिर्फ अभिनेता नहीं, एक संवेदना बन चुके थे। उनकी अभिनय क्षमता, हास्य-समय, रोमांटिक किरदार और गंभीर भूमिकाएं — सभी में वे सहज थे।
चोट, संघर्ष और जबरदस्त वापसी
1982 में फिल्म 'कुली' की शूटिंग के दौरान एक एक्शन सीन में उन्हें गंभीर चोट लगी। वे कुछ समय के लिए क्लीनिकली डेड घोषित कर दिए गए थे, लेकिन उनकी चमत्कारी वापसी ने पूरे देश को चौंका दिया।
उसके बाद वे फिर से फिल्मों में सक्रिय हुए, परंतु 1980 के अंत और 1990 के प्रारंभ में उनका करियर गिरावट पर चला गया। उन्होंने फिल्मों से थोड़ी दूरी ली और राजनीति और व्यापार की ओर रुख किया — खासकर Amitabh Bachchan Corporation Ltd (ABCL) की स्थापना की। लेकिन यह भी सफल नहीं रहा और उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। 2000 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने परिपक्व भूमिकाओं में वापसी की और फिर एक बार खुद को साबित किया:
इन फिल्मों ने यह दिखा दिया कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती।
कौन बनेगा करोड़पति: एक नया अवतार
2000 में, बच्चन ने टीवी की दुनिया में कदम रखा — 'कौन बनेगा करोड़पति (KBC)' के होस्ट के रूप में। कुछ लोगों को शंका थी कि क्या एक फिल्म स्टार टीवी पर काम कर पाएगा, लेकिन शो की सफलता ने सारे संदेहों को खत्म कर दिया — और इसका बड़ा श्रेय बच्चन जी की विद्वत्ता, सादगी और संवाद शैली को जाता है।
KBC ने उन्हें नई पीढ़ी के दर्शकों से जोड़ा, और आज तक वे इस शो का चेहरा बने हुए हैं।
पुरस्कार और सम्मान
अमिताभ बच्चन को भारत और विदेशों में कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:
इसके अलावा, उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। BBC के एक ऑनलाइन पोल में उन्हें "Actor of the Millennium" चुना गया।
परदे के बाहर: कवि और समाजसेवी
फिल्मों के अलावा, अमिताभ बच्चन ने कई सामाजिक और जनकल्याण कार्यों में भाग लिया है — जैसे किसानों की मदद, कैंसर रोगियों के लिए सहायता, बालिका शिक्षा का समर्थन आदि।
वे सोशल मीडिया और ब्लॉग पर भी सक्रिय रहते हैं, जहाँ वे कविताएँ, निजी अनुभव और प्रेरणादायक संदेश साझा करते हैं।
वे पोलियो उन्मूलन, टीबी जागरूकता और COVID-19 जागरूकता अभियानों के ब्रांड एंबेसडर भी रहे हैं।
एक अनोखी विरासत
आज भी, 80 वर्ष की उम्र में, बच्चन जी लगातार काम कर रहे हैं। वे सिर्फ गुजरे जमाने के अभिनेता नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत किंवदंती हैं, जो आज के जमाने के साथ भी कदम मिलाकर चल रहे हैं।
उनकी सफलता का रहस्य है — बुद्धिमत्ता, विनम्रता, और निरंतर परिश्रम। एक ऐसी दुनिया में जहां शोहरत क्षणिक होती है, अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता उनके व्यक्तित्व की गहराई को दर्शाती है।
अमिताभ बच्चन सिर्फ एक अभिनेता नहीं हैं — वे एक भावना हैं, एक युग हैं, और भारतीय सिनेमा के इतिहास का चमकता सितारा हैं।
संघर्षों से भरे सफर से लेकर ऊंचाइयों तक पहुँचने की उनकी कहानी यह सिखाती है कि सच्ची महानता कभी फीकी नहीं पड़ती।
जब तक भारतीय सिनेमा जीवित रहेगा, अमिताभ बच्चन का नाम उसकी गूंज में हमेशा सुनाई देगा — यह याद दिलाने के लिए कि "लीजेंड्स कभी रिटायर नहीं होते।"
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